This shayari is written to express the rage and situation of a boy waiting for girl in park, a man waiting for wife on his bike, a friend waiting for girl friend at theatre, or a (would be) fiance waiting for a simple yes...
"आती हूँ" "आती हूँ" बोल कर बार बार,
"आती हूँ" "आती हूँ" बोल कर बार बार,
क्यों लड़कियां कराती है हमको इंतज़ार,
कभी है कपड़ों कि उलट-फेर, कभी सोलह-श्रृंगार,
फिल्म छूटी, ट्रेन छूटी, जिंदगी दी हमने गुज़ार,
किसी कीमत पर लेकिन खत्म ना हुआ ये इंतज़ार,
सेकंड ना देखे, मिनट ना देखे, घंटों की भी क्या दरकार,
घर के परदे छांटने में ही, बदल जाती है सरकार,
जिंदगी लगा दी करने में, इक छोटा सा इज़हार,
एक मिलन की आस में, मुरझा गया ये गुल-ओ-गुलज़ार,
खुदा करे रंग लाये, मेरा ये बेसब्र इंतज़ार,
यह लम्हा भले ही गुज़र जाये, पर ख़त्म ना हो उनका प्यार ||